जब भी हम नया मोबाइल खरीदने चाहते है तो कैमरे के फीचर में मेगापिक्साल का ध्यान रखते है और कोशिश करते है की हमे ज्यादा से ज्यादा मेगापिक्साल का कैमरे वाला मोबाइल कम से कम कीमत में मिल जाए लेकिंग क्या आप जानते है. आज स्मार्टफोन में कैमरे काफी ताकतवर हो गए हैं लेकिन इन कैमरों से आप तभी बेहतर तस्वीर ले सकते हैं जब कैमरा फीचर के बारे में आपको पूरी जानकारी हो। आगे हमने Camera Features के बारे में पूरी जानकारी दी है साथ ही उसके उपयोग को भी समझाया है।
समय के साथ स्मार्टफोन के कैमरों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। पहले जहां स्मार्टफोन में सिंगल कैमरा होता था, वहीं अब दो, तीन या चार कैमरे भी आने लगे हैं। जैसे-जैसे स्मार्टफोन मार्केट में ट्रिपल और क्काड कैमरा सेटअप वाले स्मार्टफोन ट्रेंड में हैं। इनमें दो या तीन से अधिक कैमरे आने लगे है. तीन और चार रियर कैमरे वाले स्मार्टफोन तो मार्केट में छाए हुए हैं।
Certainly फोन में Camera Features बेशक एक से अधिक लेंस होने के कारण फोटो की क्वॉलिटी में भी काफी सुधार आया है। इनमें आपको एक प्राइमरी कैमरा मिलता है, जो ज्यादा मेगापिक्सल का होता और अच्छी फोटो के लिए जरुरी होता है, दूसरा कैमरा अल्ट्रा-वाइड और टेलीफ़ोटो लेंस कहलाता इसकी मदद से pot rate और टेलीफ़ोटो लेंस जूमिंग के काम आता है, तीसरा और चौथा कैमरा डेप्थ और मैक्रो सेंसर होता है. डेप्थ सेंसर का मुख्य काम डेप्थ ऑफ़ फील्ड को नापकर उसे आउट और फोकस करना होता है. वही दूसरी और मैक्रो कैमरा बिलकुल करीब से फोटोग्राफी या extreme close अप के लिए यूज़ किया जाता है.
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आपको बता दे की मेगापिक्सल को हम मिलीयन पिक्सल की शोर्ट फॉर्म में कहते है. एक मेगापिक्साल का मतलब एक मिलियन मिक्सल होता है. मिलियन को हम सभी जानते है 10 लाख पिक्सल होते है. Firstly अब आपके मन में सवाल होगा की पिक्सल क्या होता है.इनमे से हर एक पिक्सल लाइट कलर को कैप्चर करने के क्षमता रखता है. जब आप फोटो ले रहे है तो हर एक पिक्सल कलर, लाइट और कंट्रास्ट को कैप्चर जब सभी पिक्सल आपस में जुड़ जाते है, तो आपको एक पिक्चर दिखाई देती है.
आपको बता दे की जितना बड़ा पिक्साल साइज़ होगा उतनी अधिक पिक्चर क्लियर और detailing होगी. 1 मेगापिक्साल में 1152 x 864 होता है. इसमें 1152 पिक्सल लम्बाई में और 864 पिक्सल उचाई में होंगे. जब इन दोनों को गुणा करते है तो एक 10 पिक्सल की इमेज बनती है. As a result यह कैमरा 1 मिलियन पिक्सल का बना इसलिए ये 1 मेगापिक्साल का कैमरा होगा.
For example इसी तरह 2 मेगापिक्साल में 1600 x 1200 पिक्सल होंगे इनको गुणा करने पर 2 मेगापिक्साल का कैमरा बनता है. इसी प्रकार जैसे जैसे मेगापिक्साल का नंबर बढता जाता उतने ही मेगापिक्साल नंबर बढता जाता है. लेकिन एक बात यहा ध्यान देने वाली है की अगर मेगापिक्साल साइज़ बड़ा होता है, तो ही इमेज क्लियर प्राप्त होती है.
AI कैमरा को Artificial Intelligence कहलाता है, जिसे हम कृतिम बुद्धिमत्ता भी कहते है. Artificial Intelligence या AI एक सॉफ्टवेर होता है, जो की किसी भी हार्डवेयर को सॉफ्टवेर के जरिये इंसानों की तरह सोचने और चीजो को समझने को क्षमता देता है इसे Artificial Intelligence या AI कहते है.
Secondly AI कैमरा मोड का काम अलग-अलग सीन को पहचानने का है. मोबाइल AI मोड मेन्युअल मोड होता है. उसमे कई एसी सेटिंग होती है, जिनका का आपको अनुभव नही होता उनको कैसे यूज़ करना है पर ऑटो मोड में AI की सहायता से इन सारी चीजो जैसे वाइट बैलेंस, कलर बैलेंस, blur इफ़ेक्ट, सीन recognition आदि का काम आसानी से कर सकता है. एआई Camera Features स्मार्टफोन के कैमरे को ऐसे कैमरे में बदल देता है, जिसकी मदद से बिना setting में कोई चेंज करे कैमरे को सभी डायरेक्शन करके अच्छी फोटो ले सकते है और एआई उसे बैकग्राउंड में प्रोसेस करके उसे बेहतर फोटो बना देता है.
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कैमरे में इमेज सेंसर को सामन्यतः पिक्सल के साथ ही जोड़ा जाता है लेकिन ऐसा नहीं है। कैमरा लेंस से जो भी सूचनाएं आती हैं वह इमेज सेंसर पर रिकॉर्ड होता है। इमेज सेंसर जितना बड़ा होगा पिक्चर उतनी अच्छी आएगी। For instance आप इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि क्यों समान मेगापिक्सल का कैमरा होते हुए भी फोन कैमरे की अपेक्षा डीएसएलआर कैमरा बड़ी तस्वीर बनाता है। क्योंकि इसमें बड़े सेंसर का उपयोग किया जाता है। डीएसएलआर कैमरे में सीसीडी का नाम आपने सुना होगा। एक बढ़िया कैमरा में थ्री सीसीडी इमेज सेंसर का उपयोग किया जाता है। आज कल स्मार्टफोन कैमरे में भी निर्माता सेंसर का जिक्र करते हैं।
लेंस को आप कैमरे की आंख के तौर पर देख सकते हैं। लेंस के बगैर कैमरे की कल्पना भी नहीं की जा सकती। फोन में लेंस की क्वालिटी जितनी अच्छी होगी वह उतना ही बेहतर तस्वीर लेने में सक्षम होगा। लेंस के फोकल लेंथ को एमएम द्वारा मापा जाता है। 24 एमएम, 50 एमएम और 70 एमएम फोकल लेंथ इत्यादि। कैमरे के साथ उपयोग किए जाते हैं। Consequently मोबाइल फोन के लिए कार्लजीज और सोनी सहित कई कंपनियां हैं जो लेंस बनाने का कार्य करती हैं।
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जब आप एक फोटो लेते हैं, तो शटर खुला होता है (या सेंसर सक्रिय होता है), अधिक प्रकाश सेंसर को मारता है। सेंसर जितना हल्का होगा, इमेज उतनी ही शानदार होगी। For example कल्पना करें कि आप एक नल से एक गिलास पानी भर रहे हैं। यदि आप नल को आधे सेकंड के लिए छोड़ देते हैं, तो नीचे केवल पानी का एक छोटा छींटा होगा। यदि आप नल को पांच सेकंड के लिए छोड़ देते हैं, तो यह संभवतः सही भर जाएगा।
शटर स्पीड कुछ स्पोर्ट्स फ़ोटोग्राफ़ी के लिए एक सेकंड के लगभग 1/8000 वें भाग से बहुत तेज़ तक हो सकती है – लंबे एक्सपोज़र तस्वीरों के लिए 30 सेकंड के बहुत धीमी गति से ऊपर की ओर। अधिकांश शटर गति, जिनका आप उपयोग करेंगे, हालांकि, बीच में कहीं गिर जाते हैं।
यदि आप अपने स्मार्टफ़ोन के साथ स्वचालित मोड में एक फ़ोटो लेते हैं (जहाँ आप उसे सभी काम करने देते हैं), तो वह एक सेकंड के लगभग 1/30 वें और दूसरी बार के 1/500 वें हिस्से की शटर स्पीड का उपयोग करने की कोशिश करेगा। । यह क्या मूल्य चुनता है यह इस बात पर निर्भर करता है कि कितना प्रकाश है.
कांच के उदाहरण पर वापस जा रहे हैं: एक उज्ज्वल दिन पर, आपके पास एक नल है जो वास्तव में तेज प्रवाह के साथ है; पानी एक अविश्वसनीय दर से बाहर पंप करता है। रात में, आपके पास एक नल होता है जो केवल कुछ बूंदों को मिटा देता है; एक ही गिलास भरने के लिए, आपको इसे बहुत लंबे समय तक नल के नीचे रखना होगा।
फ़ोटोग्राफ़ी में, आप यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि ग्लास भर जाए, लेकिन ओवरफ्लो न हो। यदि आप सेंसर पर पर्याप्त प्रकाश नहीं डालते हैं, तो सब कुछ सिर्फ नकली और काला दिखाई देगा। यदि आप सेंसर को बहुत अधिक हिट करते हैं, तो आपको विपरीत समस्या है: सब कुछ बस सफेद दिखता है।
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तस्वीर लेने के लिए जब आप किसी सबजेक्ट पर कैमरे को केंद्रीत कर उसे साफ व स्पष्ट करते हैं उसे फोकस कहा जाता है। कैमरे में साधारण आॅटोफोकस, फिक्सड फोकस और मैनुअल फोकस फीचर होता है। आटोफोकस के दौरान आप स्क्रीन पर जहां टच करते हैं कैमरा उस विषय वस्तु को साफ कर पीछे के चीजों को ब्लर कर देती है जिससे तस्वीर में आप स्पष्ट रूप से देख सकते हैं।
वहीं फिक्सड फोकस में स्क्रीन पर दिखने वाला सभी चीज फोकस होता है आप किसी एक को ब्लर या फोकस नहीं कर सकते। फोटोग्राफी के सयम स्क्रीन पर हरे रंग का डब्बा बन जाता है और उस क्षेत्र को वह साफ कर देता है। यह आॅटोफोकस का कमाल है। टच स्क्रीन फोन में टच फोकस फीचर भी दिया गया है जहां स्क्रीन पर टच कर किसी विषय वस्तु की साफ व स्पष्ट तस्वीर ले सकते हैं।
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Most importantly मेमोरी एक Stored चीप है, जो किसी भी तरह की डेटा को स्टोर करके सेफ और सुरक्षित तरीके से रखता है। इस चिप में हम ऑडियो सांग , वीडियो सांग , फ़ाइल , डॉक्यूमेंट , पीडीएफ फ़ाइल, एप्प्स, कांटेक्ट नंबर, कोई इम्पोर्टेन्ट मैसेज इत्यादि और भी चीजो को हम इसमे Store करके रख सकते है। वो भी बिल्कुल सुरक्षित तरीके से ताकि हमे भविष्य में कभी भी काम आ सके।
ये मेमोरी चिप आपको 1GB से लेकर 128GB से ऊपर तक का मार्केट में उपलब्ध है। जो 1GB , 2GB , 4GB , 8GB , 16GB , 32GB , 64GB , 128GB और इससे भी ऊपर तक का उपलब्ध है। स्टोरेज मैमोरी क्षमता जहां आप पिक्सचर सुरक्षित रख सकते हैं जितनी ज्यादा मैमोरी होगी उतने अधिक पिक्चर रख सकते हैं।
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फोटोग्राफी करते वक्त जरा सा हाथ हिला नहीं कि इमेज खराब हो जाती है। अगर साधारण टेक्निकल भाषा में कहें तो ब्लर हो जाती है। Because मोबाइल फोटोग्राफी जहां पर फोन को हाथ में लेकर ही पिक्चर क्लिक करते हैं तो यह शिकायत सबसे ज्यादा होती है।
ट्राई पॉड के मुकाबले हाथ ज्यादा हिल ही जाता है। रात में या जूम का उपयोग करने पर यह समस्या और बढ़ जाती है। ऐसे में OIS एक ऐसी तकनीक है जो हाथ को हिलने पर ही साफ व स्पष्ट इमेज व वीडियो बनाने में आपकी मदद करता है। यह स्टेबलाइजेशन यानी कि स्थिरता बनाए रखता है।
For instance ऑप्टिकल इमेज स्टेबलाइजेशन (Optical Image Stabilization), हार्डवेयर आधारित यह कैमरे की एक ऐसी तकनीक है जो अनचाहे रूप से कैमरे को हिलने पर फिजिकली मूव कर उस मुवमेंट को अडजस्ट करने में मदद करता है। आपको यही लग रहा होगा कि क्या वास्तव में कैमरा मूव करता है। जी हां OIS में कैमरे में इस तरह का फंक्शन होता है कि वह किसी हल्के फुल्के झटके को मूव कर अडजस्ट कर देता है।
इस Camera Features का सबसे ज्यादा फायदा आपको रात के दौरान देखने को मिलेगा। जैसा कि आप जानते हैं कि कैमरा रोशनी से फोटो बनाता है But रात के दौरान रोशनी कम होती है और पिक्चर क्लिक करने पर रोशनी कैप्चर करने में थोड़ा समय लग जाता है और परंतु इतनी देर में हाथ हिल जाता है। ऐसे में OIS हाथ के इस मुवमेंट को अडजस्ट कर आपको बेहतर रिजल्ट देने में मदद करता है।
Firstly अक्सर लोग Camera Features के ज़ूम को लेकर Confuse रहते है. डीएसएलआर कैमरों के किट लेंस में बहुत कम ज़ूम (2X से 8X) होता है। इससे ज्यादा ज़ूम के लिए महंगे टेलीफ़ोटो लेंस खरीदने पड़ते हैं. जबकि पॉइंट-एंट-शूट कैमरों में 50X सुपर-ज़ूम तक के कैमरे मार्केट में मिल रहे हैं. ऐसा क्यों ?
To Clarify ये ध्यान में रखिए कि कैमरा चुनते समय ऑप्टिकल ज़ूम (Optical zoom) को ही महत्व दें क्योंकि Optical Zoom कैमरे के लेंस के माध्यम से दूर के दृश्यों को करीब ले आता है और Photo की क्वालिटी कम नहीं होती. ज्यादातर कैमरे या मोबाईल के फीचर्स में डिजिटल ज़ूम होना लिखा रहता है।
Because डिजिटल ज़ूम (Digital zoom) केवल कैमरे के भीतर फाइल/पिक्सल को बड़ा (मैग्नीफाई) करता है. ध्यान दें कि अधिक Zoom पर फ़ोटो लेना आसान नहीं होता और कई परिस्तिथियों में ट्राइपॉड (Tripod) का प्रयोग करना अपरिहार्य हो जाता है.
लाइट की वजह से आंखों का रंग चेंज हो जाता है और अब आप फ्लैश ऑन करके फोटो क्लिक करते हैं तो आंखे लाल हो जाती है. In other words दरअसल, जब भी आपकी आंखों में ज्यादा रोशनी पड़ती है तो आंखों की पुतली छोटी रहती है और अंधेरे में यह फैल जाती है. ऐसे ही जब दोपहर या दिन के समय आंख की पुतली छोटी होती है और रात के समय यह बड़ हो जाती है.
For example फोटोग्राफी के दौरान फ्लैश रोशनी में अक्सर आंखें लाल हो जाती हैं। ऐसे में रेडआई करेक्शन और रेड आई रिडक्शन Camera Features फीचर के माध्यम से उसे ठीक कर सकते हैं।
फोटोग्राफी में व्हाइट बैलेंस (White Balance)/ WB, या कलर बैंलेंस (color balance) पर बहुत कम लोग ध्यान देते हैं। here for so अपर्चर, शटरस्पीड और ISO के बाद फोटो के बनने-बिगड़ने में सबसे बड़ा हाथ व्हाइट बैलेंस का होता है। अपर्चर, शटरस्पीड और ISO से फोटो का एक्सपोजर निर्धारित होता है, जबकि व्हाइट बैलेंस से फोटो का फाइनल कलर-टोन या कलर कास्ट (आभा) निर्धारित होता है।
व्हाइट बैलेंस (White Balance) एक टेक्नीक या तरीका है कैमरे के इमेज प्रॉसेसर को यह बताने का कि तस्वीर का कलर कास्ट, that is to say उसमें रंगों की आभा हमें कैसी चाहिए। प्रायः हमें फोटो लेने से पहले डिजिटल कैमरे के इमेज प्रॉसेसर को यह बताना पड़ता है कि सामान्य रूप से आंख जैसी तस्वीर देखती है वैसी ही रंगत वाली तस्वीर हमें चाहिए, या हम जैसा चाहें वैसा। कैमरे में व्हाइट बैलेंस का यही काम है। कैमरे में इसका संकेत WB होता है।
But अलग-अलग स्थान पर रोशनी में भी भिन्नता होती है। ऐसे में व्हाइट बैलेंस के माध्यम से आप रोशनी को समायोजित कर सकते हैं। आॅटो, टंगस्टन, सन्नी क्लाउडी इत्यादि व्हाइड बैलेंस के ही विकल्प हैं।
आईएसओ सेंसर की सेसेटिविटी को बढ़ा देता है। इसके माध्यम से कैमरा कम रोशनी में भी बेहतर तस्वीर लेने में सक्षम हो जाता है। आईएसओ का उपयोग साधरणत: रात में किया जाता है। हाईसेंसिटिविटी पर जब कैमरा तस्वीर लेता है तो पिक्चर पर थोड़े डॉट दिखाई देते हैं।
Firstly जियोटैगिंग मेटाडेटा के रूप में Geographic जानकारी को विभिन्न मीडिया में जोड़ने की प्रक्रिया है। डेटा में आमतौर पर Latitude and longitude जैसे निर्देशांक होते हैं, लेकिन इसमें ऊंचाई, दूरी और स्थान के नाम भी शामिल हो सकते हैं।
जियोटैगिंग का उपयोग आमतौर पर तस्वीरों के लिए किया जाता है और इससे लोगों को बहुत सी विशिष्ट जानकारी प्राप्त करने में मदद मिल सकती है, जहां तस्वीर ली गई थी या किसी सेवा में लॉग ऑन करने वाले friend का सटीक स्थान।
For instance Location specific website, समाचार और अन्य जानकारी खोजने के लिए Geotagging Location Services का उपयोग किया जा सकता है। यह Positions and coordinates पर आधारित है और अक्सर इसे एक वैश्विक पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) से लिया जाता है।
However कुछ सोशल networking साइट और सेवाएं अपने उपयोगकर्ताओं का स्थान बताती हैं, जो उपयोगकर्ताओं को यह जानने की अनुमति देता है कि उनके friend जहां हैं, वे उस वेबसाइट पर लॉग इन हैं।
Secondly फ़ोटो टैग करते समय, शॉट को Processed करने के बाद टैगिंग कैमरे द्वारा की जा सकती है या यह तब लागू किया जा सकता है जब फ़ोटो ऑनलाइन पोस्ट की जाती है। अधिकांश सेलफोन में Built-in GPS होता है, there for वे फोन के कैमरे का उपयोग करके ली गई किसी भी फोटो को जियोटैग कर सकते हैं।
Finaly इस फीचर में आप वीडियो और फोटोग्राफ की सहायता से अपनी भगौलिक स्थिति की जानकारी दे सकते हैं कि फिलहाल आप किस स्थान पर हैं और कहां की तस्वीर है।
Firstly अगर आपके स्मार्टफोन कैमरे में पैनोरेमा मोड दिया गया है तो उस ऑप्शन को सेलेक्ट कर लें। पैनोरमा मोड सेलेक्ट करने के बाद आपकी स्क्रीन में एक बॉक्स बन कर आएगा साथ ही चारों तरफ ऐरो भी बनें होंगे।
अब आप जिस तरफ से भी फोटो लेना चाहते हैं, On the other hand नीचे दिए गए क्लिक बटन को दबाकर धीरे-धीरे उसी तरफ अपना फोन घुमाते रहें।
कैमरे में इस फीचर के माध्यम से आप 3डी तस्वीरे ले सकते हैं। इसके दौरान एक निश्चित समय में आपको कैमरे को घुमाना होता है। Above all बाद में कैमरा उस तस्वीर को मिलाकर आपके सामने पेश करता है। आप चाहें तो इसे प्ले कर भी देख कसते हैं। हां, यह ध्यान रहे कि पैनरोमा शाॅर्ट में समय बड़ा महत्वपूर्ण है।
Most importantly इस फीचर को On करते ही कैमरा फोटोग्राफी के समय स्वतः ही चेहरे पर फोकस कर उसे साफ व स्पष्ट कर देगी। वहीं स्माइल डिटेक्शन में हस्ते हुए चेहरे पर फोकस होगा।
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