सैटेलाइट इंटरनेट के मार्केट में कॉम्पिटिशन अब भी बहुत कम है और कंपनी को लाल-फीताशाही से कुछ हद तक छूट मिल जाती है. इससे भी बड़ा कारण है कि सैटेलाइट की मदद से Starlink जैसी कंपनी दूर-दराज के उन क्षेत्रों तक अपना मार्केट फैला सकती है, सर्विस प्रोवाइड कर सकती है जहां आज भी इंटरनेट मौजूद नहीं है.
यदि आप Starlink internet क्या है और कैसे काम करता है तथा कब तक इंडिया में आ सकता है के सम्बंध में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको यह आर्टिकल पूरी तरीक़े से पढ़ना होगा। जिससे आपके Starlink Internet से जुडी ज्यादा से ज्यादा जानकारी मिल सके और आपके मन में उठ रहे डाउट्स भी क्लीर हो सके।
Firstly आप Starlink को एक orbital satellites के नेटवर्क के रूप में सोच सकते हैं। यह SpaceX संगठन का एक हिस्सा है, जिसे 2015 में विकसित किया गया था। वहीं इस प्रोजेक्ट के लिए शुरूवाती prototype satellites को सन 2018 में उनके orbit (कक्षा) में लॉंच किया गया था।
As a result SpaceX ने अभी तक करिब 1,000 Starlink satellites को सफलतापूर्वक लॉंच कर दिया है। वहीं इसी वर्ष ही Starlink’s mission के तहत इन्होंने क़रीब 60 satellites को लॉंच किया है सन 2021 में। जिसके लिए इन्होंने Kennedy Space Center का इस्तेमाल किया वो भी launchable Falcon 9 orbital rocket के उपयोग से। एक रिपोर्ट का कहना है की अभी तक करीब 1,737 से ज़्यादा satellites को स्थापित कर दिया गया है एक constellation के आक़ार में।
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Starlink इन्हीं सैटेलाइट की मदद से इंटरनेट पहुंचाएगा – विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों और दुनिया के अन्य हिस्सों के लोगों को, जिनके पास पहले से ही हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड तक पहुंच नहीं है. एक बार जब कोई यूज़र एक नए Starlink Internet कनेक्शन ले जाता है, तब उसे एक Starlink Kit प्रदान किया जाता है। उस Kit में आपको मिलता है Starlink (the dish), power supply, mounting tripod, cables के साथ साथ Wi-Fi router भी।
Since Starlink को सटीक रूप से कार्य करने के लिए एक क्लियर आसमान की ज़रूरत होती है, ऐसे में यूज़र को Starlink App का इस्तमाल करना होता है। ये App आपको Google Play Store या Apple App Store में मिल जाएगा डाउनलोड करने के लिए। इसकी मदद से आप अपने Starlink को इंस्टॉल करने के लिए सटीक जगह खोज सकते हैं।
स्टारलिंक को आकाश के स्पष्ट दृश्य की आवश्यकता होती है क्योंकि स्टारलिंक उपग्रह डिश सीधे उपग्रह से जुड़ता है, जिसे स्टारलिंक एकल बीम के रूप में वर्णित करता है। हालांकि, since उपग्रह चलता है, बीम भी चलता है, और कोई भी बाधा बीम में हस्तक्षेप कर सकती है, जिसके परिणामस्वरूप इंटरनेट कनेक्शन बाधित हो सकता है।कंपनी की ओर से, यह उपग्रह भेज रहा है और बैक-एंड समर्थन के लिए अधिक से अधिक ग्राउंड स्टेशन स्थापित कर रहा है।
Secondly जमीन पर बिछाए गए फाइबर-ऑप्टिक केबल के माध्यम से दिए जाने वाले इंटरनेट सर्विस में अपलोड और डाउनलोड की स्पीड सैटेलाइट इंटरनेट की तुलना में बहुत तेज है. ऐसे में आखिर स्टारलिंक फाइबर ऑप्टिक्स की जगह सैटेलाइट से इंटरनेट क्यों देता है जिसमें कंपनी को सर्विस प्रोवाइड करने के लिए 1700 से अधिक सैटेलाइट स्पेस में भेजना पड़ा है?
For this reason सैटेलाइट इंटरनेट के मार्केट में कॉम्पिटिशन अब भी बहुत कम है और कंपनी को लाल-फीताशाही से कुछ हद तक छूट मिल जाती है. इससे भी बड़ा कारण है कि सैटेलाइट की मदद से Starlink जैसी कंपनी दूर-दराज के उन क्षेत्रों तक अपना मार्केट फैला सकती है, सर्विस प्रोवाइड कर सकती है जहां आज भी इंटरनेट मौजूद नहीं है.
कंपनी के वेबसाइट के अनुसार बीटा स्टेज में Consequently “यूजर्स अगले कई महीनों में डेटा स्पीड 50 से 150 mb/ सेकंड देखने की उम्मीद कर सकते हैं.” एलन मस्क ने फरवरी में ट्वीट किया था कि उम्मीद है कि 2021 के अंत तक इंटरनेट स्पीड 300 mbps तक दोगुना हो जाएगी.
Starlink ने कंपनी के “बेटर दैन नथिंग” बीटा प्रोग्राम में शामिल होने के इच्छुक कस्टमर्स से प्री-आर्डर स्वीकार करना शुरू कर दिया है. इंटरनेट सर्विस की लागत प्रति महीने $99 या 7,350 रूपये है. साथ ही टैक्स, फीस, माउंटेबल सैटेलाइट डिश और राउटर के लिए $500 का प्रारंभिक भुगतान करना होगा.
हालांकि मीडिया रिपोर्टों के अनुसार भारत में अब तक 5,000 प्री-आर्डर किये गए हैं और कंपनी प्रति कस्टमर 7,350 रुपये/ $99 का डिपॉजिट ले रही है.
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Finally Starlink ने 1 नवंबर को भारत में अपना कारोबार रजिस्टर्ड किया है. भारत में एक लोकल यूनिट होने से स्टारलिंक सैटेलाइट कम्युनिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ब्रॉडबैंड और अन्य सैटेलाइट-आधारित संचार सेवाएं प्रदान करने से पहले सरकार से लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकेगी.
Above all कंपनी दिसंबर 2022 तक यहां 2 लाख Starlink डिवाइस इंस्टॉल करेगी. इनमें से डिवाइस 80 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों में इंस्टॉल होंगे. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार Starlink को पहले ही भारत में अपने इंटरनेट डिवाइस के लिए 5,000 से अधिक प्री-ऑर्डर मिल चुके हैं.
Therefore IAMAI-Kantar ICUBE 2020 की रिपोर्ट की माने तो 2020 में भारत में 62.2 करोड़ से अधिक इंटरनेट यूजर्स थे जो आंकड़ा 2025 तक 90 करोड़ तक बढ़ने का अनुमान है. ऐसे में भारत का बढ़ता इंटरनेट मार्केट Starlink के लिए शानदार प्लेटफॉर्म हो सकता है.
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